जयपुर।  यदि ब्रिटिश सरकार अपने फैसले पर अडिंग रहते हुए माल्या को ब्रिटेन से निर्वासित करते हुए भारत को नहीं सौंपती है तो नौ हजार करोड़ रुपए लेकर रफ़फू चक्कर  हुए माल्या ब्रिटेन में मौज कर सकते हैं। भारत और ब्रिटेन के बीच हुइ प्रत्‍यापर्ण संधी से माल्या को भारत लाने में दस साल तक का समय लग सकता है।

पहले के अनुभव कुछ इसी तरह के संकेत कर रहे हैं इससे पहले नेवी वॉर रूम के सीक्रेटस आउट करने के आरोपी रवि शंकरन को भारत लाने के लिए सरकार दस साल तक कड़ी मशक्कत करती रही लेकिन इसके बाद भी सरकार को पूरी तरह से सफलता नहीं मिल सकी। इसी के चलते बीते तीन साल में भी ललित मोदी को भी भारत नहीं लाया जा सका है।

लंदन में ललित मोदी मौज कर रहा है रह रह कर अब ट्वीट एवं सोशल मीडिया पर कंमेट करके भारतीय राजनीति मे हलचल करता रहता है यहां तक आरसीए के अध्‍यक्ष पद पर निर्वाचित भी हो जाता है लेकिन भारत सरकार मोदी को भारत नहीं ला सकती है इससे पहले सबके सामने है जहां पर रवि शंकरन को भारत लाने के प्रयास भी अब भारत सरकार नहीं करना चाहती है यही वजह है कि बैंक अपनी वसूली के लिए माल्‍या मामले को प्रत्‍यपर्ण में नहीं उलझाना चाहता है बल्कि राजनीतिक तरीके से भारत लाने की मांग कर रहा हैं।

क्या है नेवीवॉर रूम लिक्स मामला

सीबीआई ने 2006 में नेवी के बड़े अधिकारी रहे रविशंकरन सहित दूसरे लोगों ने नेवी के दस्तावेज लीक करने से लेकर दूसरी जानकारी बाहर देने पर मामला दर्ज किया था। शंकरन तक जब तक सीबीआई पहुंचती तब तक शंकरन ब्रिटेन में रहने लगा था और सीबीआई ने शंकरन के खिलाफ इंटरपोल से रेडकार्नर नोटिस जारी करने के बाद प्रत्‍यर्पण की प्रकिया शुरू की। इससे में 2013 में आंशिक सफलता हाथ लगी और शंकरन को भारत को सौंपने के आदेश निचली अदालत ने दिए लेकिन ब्रिटेन के हाईकोर्ट में भारत इसे साबित नहीं कर सका और अब भारत ने इसे प्रक्रिया को ही छोड़ दिया हैं।

धारा 9 साबित होगी माल्‍या की मददगार

देश के बैंकों को आर्थिक संकट में डालकर देश से भाग निकले विजय माल्या को ब्रिटेन से प्रत्‍यापर्ण करना आसान नहीं है माल्‍या को भारत लाने में सबसे बड़ी बाधा भारत ब्रिटेन प्रत्‍यापण संधी 1993 की धारा नौ हैं जिसमें माल्या के यह कहना कि उसे भारत सरकार परेशान करना चाहती है इसीलिए उसे मांगा जा रहा है इस पर सरकार को साबित करना होगा कि माल्या को सरकार किसी तरह से परेशान करने के लिए नहीं बल्कि कानून के तहत ले रही है। इसके लिए भारत सरकार को ब्रिटेन में अदालती प्रक्रिया से गुजरना होगा। यह कानूनी प्रकिया भारत की तरह निचली अदालत से शुरू होकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगी। इस प्रकिया में काफी समय लगने की संभावना बताई जा रही है। इसी के साथ माल्‍या के पास ब्रिटेन में रेजिडेंट वीजा होने की वजह से भी भारत में लाना आसान नहीं होगा और माल्‍या के पास यह वीजा ब्रिटेन 1992 से है जब भारत और ब्रिटेन के बीच किसी तरह की संधी नहीं हुई थी। वहीं ब्रिटिश कानून के मुताबिक पासपोर्ट की आवश्यकता देश में आने के लिए मानी जाती है देश में रहने के नियम ब्रिटेन में अलग है इसी खामियों के चलते अभी तक ललित मोदी को भी भारत नहीं लाया जा सका है।