नया सेशन शुरू होने के बाद शिक्षा मंत्री ने जारी की गाइडलाइन, सवाल- गाइडलाइन की पालना कौन करवाएगा?


लॉयन न्यूज, बीकानेर। नया सेशन शुरू हो चुका है। पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस से लेकर कॉपी-किताबें खरीद चुके हैं। इस बीच शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने प्राइवेट स्कूलों के लिए नई गाइड लाइन जारी की है। इसके तहत अब प्राइवेट स्कूल 5 साल तक अपने स्कूल की यूनिफॉर्म नहीं बदल सकेंगे। स्कूल मैनेजमेंट पेरेंट्स और स्टूडेंट्स पर किसी विशेष स्थान से ही यूनिफॉर्म और किताबें खरीदने का दबाव भी नहीं बना सकेगा। अगर वह शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के विपरीत ऐसा करेंगे, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राजस्थान के प्राइवेट स्कूलों में यूनिफॉर्म और किताबों को लेकर पेरेंट्स ने पिछले दिनों शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से शिकायत की थी। इसमें पेरेंट्स ने बताया था कि स्कूल मैनेजमेंट दबाव बनाकर महंगी स्कूल यूनिफॉर्म और किताबें बेच रहा है। उनकी बाजार कीमत काफी कम है। ऐसे में पेरेंट्स की शिकायत के बाद शिक्षा मंत्री ने आदेश जारी कर प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूल संचालकों को शिक्षा विभाग की गाइडलाइन का 100त्न पालन करने का आदेश किया है।
ताकि स्टूडेंट्स-पेरेंट्स पर किसी तरह का दबाव न बने
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा- राजस्थान में नया शैक्षणिक सत्र (एकेडमिक सेशन) शुरू होने जा रहा है। ऐसे में प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले स्टूडेंट्स और पेरेंट्स पर किसी तरह का दबाव नहीं बने। इस बात को ध्यान में रखते हुए गाइडलाइन तैयार की गई है। इसका पालन नहीं करने पर स्कूलों के खिलाफ नियम अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा मंत्री बोले- मुझ तक भी शिकायत पहुंचा सकते हैं
शिक्षा मंत्री ने कहा- कुछ स्कूलों में सत्र शुरू हुआ है, जबकि कुछ में बाकी है। जहां भी पेरेंट्स शिकायत करेंगे, नियमों को अनदेखी हो रही है या अब तक की है। उनके खिलाफ जांच के बाद सख्त एक्शन लिया जाएगा। पेरेंट्स और स्टूडेंट्स जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों या सीधे मुझसे शिकायत कर सकते हैं।
जारी हुई यह गाइडलाइन
– प्राइवेट स्कूल राजस्थान सरकार द्वारा अप्रूव्ड पाठ्यक्रम की किताबों का ही इस्तेमाल कर सकेंगे।
– किताबों के राइटर, पब्लिशर और रेट जैसी तमाम जानकारी सेशन स्टार्ट होने से एक महीने पहले स्कूल के नोटिस बोर्ड लगानी होगी। फिर वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी।
– पेरेंट्स और स्टूडेंट्स पर किताबें और कॉपियां खरीदने का किसी तरह का दबाव नहीं बनाया जाएगा। वह खुद के स्तर पर बाजार से भी किताबें खरीद सकेंगे।
– स्टूडेंट्स और पेरेंट्स स्कूल की यूनिफॉर्म बाजार से खरीद सकेंगे। स्कूल प्रबंधन द्वारा निर्धारित की गई यूनिफॉर्म को 5 साल तक नहीं बदला जाएगा।
– स्कूल प्रबंधन द्वारा शिक्षण सामग्री पर किसी तरह का नाम अंकित नहीं किया जाएगा।
– स्कूल प्रबंधन द्वारा स्टूडेंट्स या पेरेंट्स पर किसी विशेष दुकान या फिर स्कूल से ही कॉपी, किताबें, ड्रेस या फिर अन्य किसी तरह की सामग्री खरीदने का दबाव नहीं बनाया जाएगा।
– प्राइवेट स्कूलों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा जो भी किताबें या फिर यूनिफॉर्म निर्धारित की गई है। वह बाजार में काम से कम तीन विक्रेताओं के पास उपलब्ध हो।
स्कूल्स नहीं करते गाइडलाइन की पालना
राज्य सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर प्राइवेट स्कूल्स के गाइडलाइन जारी करता हैं, लेकिन उस गाइडलाइन की धरातल पर पालना नहीं होती। अभिभावक स्कूल संबंधित शिकायतें दर्ज करवाते है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी उन शिकायतों पर कार्यवाही नहीं करते, जिसके कारण स्कूल संचालक अपनी मनमर्जी करते है।
पोर्टल पर जानकारी अलग, हकीकत कुछ और
सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों के लिए बनाये गए पीएसपी पोर्टल पर संबंधित स्कूल्स को अपनी स्कूल के बारे में सारी जानकारी अपलोड करनी होती है। जिसमें स्कूल्स का रिकॉर्ड, स्कूल स्टाफ, प्रत्येक कक्षा की फीस, राइट टू एज्यूकेशन संबंधित जानकारी, बुक्स, स्कूल कमेटी आदि जानकारियां होती है, लेकिन प्राइवेट स्कूल्स द्वारा इस पोर्टल पर अपलोड की जा रही जानकारी और स्कूल की हकीकत रिकॉर्ड में काफी अंतर पाया जाता है, जिसमें फीस को पोर्टल पर कुछ और बताई जाती है जबकि उस फीस से ज्यादा फीस बच्चों के अभिभावकों से वसूली जा रही है। इसके अलावा कुछ स्कूल्स ने गलत जानकारियां इस सरकारी पोर्टल पर अपलोड कर रखी है ताकि पोर्टल के हिसाब से उन पर कोई आंच नहीं आए, लेकिन हकीकत में स्कूल जाकर कोई अधिकारी निरीक्षण नहीं करता, जिसके कारण स्कूल संचालक अपनी मनमर्जी से काम कर रहे है। अधिकारियों व विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है।