लॉयन न्यूज, बीकानेर।
विधानसभा में सवाल उठाने के बाद चर्चा में आए विधायक जेठानंद व्यास को जैसे ही जवाब देने पूर्व काबीना मंत्री बी. डी. कल्ला ने मुंह खोला, जेठानंद व्यास और आक्रामक हो गए हैं। उन्होंने कल्ला से सीधे मीडिया के माध्यम से 10 सवाल किए हैं।

बीकानेर (पश्चिम) विधायक जेठानंद व्यास ने कहा है कि मेरे द्वारा विधानसभा में बोला गया प्रत्येक शब्द एक लाख मतदाताओं की भावनाओं की आवाज है, जिन्होंने मुझ पर विश्वास जताया है और प्रतिनिधि के तौर पर विधानसभा में भेजा। विधायक ने कहा कि मैं जिस विचारधारा से आते हूं, उसमें मातृभूमि को सर्वोपरि माना जाता है। यदि जनता 43 साल के परिवारवाद और भाई-भतीजा वाद से त्रस्त ना होती तो बीकानेर पश्चिम में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर डॉ. कल्ला को पिछले चार में से तीन चुनावों में हार का मुंह देखना नहीं पड़ता। विधायक ने कहा कि जनता के दुःख-तकलीफ और पीड़ा को आगे भी विधानसभा में पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा और जो बातें उन्होंने कहीं, उनके तथ्य भी समय आने पर सामने रखे जाएंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री ने अपने लंबे राजनैतिक जीवन में बीकानेर की भोली भाली जनता को ठगा है। अब जनता का दिखाया आईना कल्ला को सहन नहीं हो रहा। वे हार से बुरी तरह विचलित हैं। उन्होंने कहा कि सही यदि शहर की भलाई के लिए उन्होंने काम किया होता, तो आज परिस्थितियां दूसरी होती। उन्होंने कहा कि पिछले 43 वर्षों में बीकानेर शहर से ‘एशिया का सबसे बड़ा गांव’ बनकर रह गया है। सरकार के गत कार्यकाल में विकास की नीयत और विजन दोनों ही देखने को नहीं मिले।
विधायक ने पूर्व मंत्री के समक्ष कुछ प्रश्न रखते हुए, इनके जवाब मांगा है:

1. ऊर्जा मंत्री श्री हीरालाल नागर ने उनकी मांग पर प्रदेश के चारों शहरों में निजी कंपनियों के विरुद्ध जांच करवाने के निर्देश दिए हैं, तो क्या कभी ऊर्जा मंत्री रहते हुए डॉ. कल्ला ने ऐसा सख्त कदम उठाया? या उन्हें इस व्यवस्था में कभी कोई खामी नजर ही नहीं आई। मंत्री बनने से पूर्व उन्होंने इसके लिए आंदोलन किया, लेकिन मंत्री बनने के बार परिस्थितियां ऐसी क्या अनुकूल हो गई, कि उन्होंने कभी इस बारे में बोला नहीं। कल्ला विधिक राय की बात कर रहे हैं, लेकिन यदि उनके द्वारा एमओयू की किसी भी शर्त की अवहेलना होने पर की जाने वाली एक भी कार्यवाही की गई हो स्पष्ट करें। पूर्व मंत्री ने आज छपे समाचार में कंपनी के प्रतिनिधि की पैरवी कर यह साबित कर दिया है कि उन्हें आमजनता के हितों की नहीं बल्कि कंपनी के हित की चिंता है।

2. डॉ. कल्ला ने गत कार्यकाल से पहले कम्पनी के विरुद्ध प्रदर्शन किया। इस दौरान कल्ला सहित कांग्रेस के अन्य जमीनी कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन कल्ला ने अपने रसूख से अपना नाम हटवा लिया, लेकिन कार्यकर्ता आज भी इससे परेशान हैं। कल्ला ने अपनी ही पार्टी के इन कार्यकर्ताओं की मदद के लिए क्या किया, यह बताएं।

3. पूर्व मंत्री अपने पूरे राजनैतिक करियर में रेल बाई पास की बात करते रहे। 43वें साल में ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने यहां अंडर ब्रिज मंजूर करवाया। उनके द्वारा 42 वर्षों तक जनता को भ्रम में रखा गया। अंतिम वर्ष आरयूबी स्वीकृत करवाया, लेकिन मौके की भौतिक और तकनीकी समस्याओं की ओर कोई ध्यान नहीं गया। पूर्व में जब भाजपा सरकार द्वारा यहां एलिवेटेड रोड स्वीकृत की गई तब भी कल्ला द्वारा इसका विरोध किया गया।

 

4. बीकानेर की शान, यहां का कृषि विश्वविद्यालय वर्ष 1999, 2010 और 2013 में टूटा। एक विश्वविद्यालय के अनेक टुकड़े कर इसे असहाय और मजबूर बना दिया गया। आज भी यहां के सेवानिवृत्त कर्मचारी पेंशन के लिए भटक रहे हैं। कई कर्मचारी पेंशन की उम्मीद में दुनिया छोड़ चुके हैं। भारी भरकम मंत्री रहने के बाद कल्ला ने कभी इसकी पैरवी नहीं की।

5. महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में पिछले पांच वर्षों में शैक्षणिक पद पर एक भी भर्ती नहीं हुई। राजस्थानी भाषा संकाय की सबसे अधिक बुरी स्थिति रही, जो कला संस्कृति मंत्री होते हुए शर्मनाक स्थिति रही।

6. कला संस्कृति मंत्री होते हुए कल्ला ने राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी की ओर ध्यान नहीं दिया। पूरे पांच साल लगभग सभी पद रिक्त रहे। भाषा, साहित्य और संस्कृति के उन्नयन की कोई गतिविधि पांच सालों में नहीं हुई। राजस्थानी लिट्रेचर फेस्टिवल की बजट घोषणा सिर्फ घोषणा रह गई। यहां तक की अकादमी की जागती जोत मासिक पत्रिका का प्रकाशन नियमित नहीं हुआ। अध्यक्ष और कार्यकारिणी के मतभेद से साहित्यकारों को बड़ी हानि हुई, लेकिन कल्ला का इस और कोई ध्यान नहीं गया।

7. शहरी क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल, जिला अस्पताल पूरे पांच साल बदहाल रहा। कोरोना जैसी आपदा में भी राजीव यूथ क्लब को अवसर मिला। अस्पताल के उन्नयन को लेकर कोई प्लान था। यहां की अधिकतर मशीनें बंद रही और आउटडोर इनडोर बुरी तरह प्रभावित हुआ।

 

8. बीकानेर शहरी क्षेत्र को लंबे समय से राजकीय कन्या महाविद्यालय की आवश्यकता थी। पूरे राजनैतिक करियर में किसी दवाब के कारण यह स्वीकृत नहीं करवाया। अंतिम वर्ष में इसकी स्वीकृति के बाद जब यह एक निजी महाविद्यालय के नजदीक खुलने लगा तो जनता को भ्रमित करते हुए, इसका स्थान बदल दिया गया। इसे मुरलीधर व्यास नगर के एक सामुदायिक भवन में शिफ्ट कर वाहवाही लूटी गई। जबकि सच्चाई यह है कि आज ना ही तो भवन का उपयोग रह गया और ना ही इस कॉलेज का वास्तविक लाभ अंदरूनी शहर की बेटियों को मिल रहा है।

9. बीकानेर शहर में बना राष्ट्रीय स्तरीय तरणताल पूरे पांच साल बदहाली के आसूं रोता रहा, लेकिन शिक्षा मंत्री होने के बावजूद कल्ला कुछ नहीं कर पाए। इससे तैराकों को बड़ी निराशा हुई।

 

10. पिछले पूरे कार्यकाल में नगर निगम के आयुक्त और नगर विकास न्यास के सचिव को स्वतंत्र तरीके से काम नहीं कर पाए। इससे शहरी क्षेत्र के विकास की गति प्रभावित हुई। किसी अधिकारी ने नियम विरुद्ध कार्य करने से मना किया तो उनका स्थानांतरण करवा दिया गया।

विधायक व्यास ने कहा कि पूर्व मंत्री द्वारा शहरी क्षेत्र के सरकारी कार्मिकों को ट्रांसफर के नाम पर प्रताड़ित करने, सरकारी ठेके में अपने चहेतों को नियम विरुद्ध काम दिलाने, विकास के नाम पर बीके स्कूल के आगे बदहाल फव्वारा और डिवाइडर बनाने जैसे हास्यास्पद और अदूरदर्शी कार्य करने वाले पूर्व मंत्री को इस साल के बजट घोषणा में हुई अपार घोषणाओं से परेशानी हो गई है।

उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र की गंदे पानी की समस्या के समाधान के लिए 100 करोड़, जिला अस्पताल को 300 बेड तक क्रमोन्नत करने के लिए 125 करोड़, आरओबी के लिए 40 करोड़, गंगाशहर अस्पताल में प्रसव वार्ड और पीबीएम के लिए स्पाइनल केयर यूनिट जैसी घोषणाएं हुई हैं। उन्होंने कहा है कि पूर्व मंत्री अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए सफाई दे रहे हैं। मातृभूमि के प्रति इतना ही सोच होता तो 43 सालों में बीकानेर का नक्शा बदल जाता। उन्होंने कहा कि कल्ला को छह बार मौका मिला और वे जनता को भावनाओं पर खरा नहीं उतर सके। अब जनता ने अपना प्रतिनिधि बदला है और नेक नियत से साथ किए जा रहे काम को हुडदंग और विरोध कहना, कल्ला जैसे वरिष्ठ नेता को शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि विधानसभा में रखी बात से मातृभूमि की छवि खराब नहीं हुई है, बल्कि इससे पूर्व मंत्री द्वारा बीकानेर के विकास का विजनलेस चेहरा सामने आया है। उन्होंने कहा कि मातृभूमि की चिंता करते हुए उन्होंने मेरी मातृभूमि मेरी जिम्मेदारी अभियान प्रारंभ किया है। उनकी नीति सभी उपको साथ लेकर चलने की है और इस पर चलते हुए अगले पांच सालों में बीकानेर को आगे बढ़ाने के ईमानदार प्रयास किए जाएंगे।