कोटा।  . कक्षा आठ में सामान्यत: बच्चों में वीडियो गेम खेलने की इच्छा रहती है। जहां मन लगता है उतनी देर गेम खेलते हैं, फिर घूमने, फिरने या पढऩे में मन लगाते हैं। लेकिन यहां दो दोस्तों की बात करते हैं जो अलग हैं। नवीं में पढ़ रहे ये दोस्त अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ इसलिए पहचाने जा रहे हैं क्योंकि ये ऑनलाइन लोगों को गेम खेलना सीखा रहे हैं। ये है पार्थ गोस्वामी व पार्थ भल्ला। स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ ये युवा यह काम कर रहे हैं। बड़ी बात यह कि इन दोनों युवाओं ने यू-ट्यूब पर अपना चैनल बना लिया है। यू-ट्यूब की तरफ से इन युवाओं के पास ऑफर आने लगे हैं, जिसमें इनके चैनल पर विज्ञापन आते हैं और इनका लाभ भी इन्हें मिलने लगा है। दोनों के द्वारा जारी किए गए अपडेट्स को 3 लाख 4 हजार तक व्यूज मिल चुके हैं। इसके अलावा तीन हजार से अधिक लोगों ने इनके द्वारा अपलोड किए गए गेम को सब्सक्राइब किया है।

घरवालों को पता नहीं

पार्थ गोस्वामी के पिता प्रीतम गोस्वामी व पार्थ भल्ला के पिता एन.के.भल्ला ने बताया कि बच्चे कम्प्यूटर में लगे रहते हैं लेकिन इस बारे में हमें कुछ पता नहीं था। हमसे कुछ पूछा भी नहीं। अपने ही स्तर पर कम्प्यूटर के सॉफ्टवेयर खरीदते रहते। हमसे तो जब बैंक अकाउंट खुलवाने की बात आई तब कहा कि इस तरह का काम कर रहे हैं।

ये करते हैं दोनों 

पार्थ भल्ला व पार्थ गोस्वामी एक ही कक्षा में पढ़ते हैं। ये पश्चिमी देशों में विख्यात डेस्टनी गेम खेलते हैं। इस गेम में समय-समय पर अपडेट वर्जन रिलीज किए जाते हैं। इसका स्कोर वल्र्ड वाइड होता है। इस गेम की नई स्टेज जारी होने के साथ ही ये दोनों इसे डाउनलोड कर लेते हैं और फिर इस स्टेज को खेलने के तरीके सीखाते हुए पुन: अपलोड करते हैं। इसमें गेम का बेकग्राउण्ड म्यूजिक, एनीमेशन और स्टाइल बदल दिए जाते हैं।

अंग्रेजी बोलने का तरीका सीखा

पार्थ ने बताया कि हमारे द्वारा किए गए अपलोड के फॉलोअर्स यूएस व यूके के ज्यादा है इस कारण हमें गेम के बारे में बताने से पहले वहां के बोलने का तरीका सीखना पड़ा। यूट्यूब पर दो कंपनियां हमारे द्वारा जारी अपलोड पर विज्ञापन करती है। इसके अलावा ई-स्पोर्ट के लिए हम प्रमोशन करते हैं। अब डेस्टनी लेवल का गेम बनाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि इस क्षेत्र में भारत आगे बढ़े।