नागौर।   लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते यह भवन महज धर्मशाला बनकर रह गया है। जहां पुलिस लाइन में सरकारी डयूटी के लिए आने वाले जवान विश्राम करते हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि जिस महत्वपूर्ण उद्देश्य को लेकर इस स्मारक का निर्माण कराने के लिए पचास लाख रुपए खर्च किए गए थे, उसके मूल स्वरूप को ही भूल गए और जिस हॉल में इतिहास की तथ्यपरक जानकारी एवं सामग्री देशी विदेशी पर्यटकों के साथ स्थानीय दर्शकों को उपलब्ध करानी थी वहां जवानों का विश्राम स्थल बना हुआ है। ऐसे में तमाम अपेक्षाओं को झुठला दिया, अब आस भी किससे और क्या?

संभाल नहीं पाए विरासत

युवा होती पीढ़ी को सामान्य ज्ञान व इतिहास के रूप में महज इतना ही याद है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 2 अक्टूबर 1959 को नागौर में पंचायत राज की स्थापना की थी। लेकिन इसके अलावा इतिहास की इस विरासत को संभाल नहीं पाए और अभी भी वह ऐतिहासक चबूतरा पुलिस लाइन के एक कोने में उपेक्षित है।

यह हुआ निर्माण

म्यूजियम हॉल शौचालय, ब्लॉक, रेलिंग, चारदीवारी एवं स्मारक परिसर में सीसी ब्लॉक निर्माण, पंचायत राज स्थापना स्थल का निर्माण।

यह होना था निर्माण

अपूर्ण पंचायत राज स्मारक को विकसित करने के साथ स्तम्भ व पेडस्टल निर्माण। यहां पंडित नेहरू की प्रतिमा लगाना प्रस्तावित था। इसके साथ ही पुस्तकालय में पंचायत राज एवं इतिहास से सम्बन्धित पुस्तकें। सफाई, सडक़ के विकास बिजली कार्य, बगीचे, नलकूप व पाइप लाइन का कार्य।

यह था पर्यटन विभाग के जिम्मे

पंचायत राज स्मारक स्थल पर निर्मित हॉल में पर्यटन विभाग की ओर से पंचायत राज से सम्बन्धित चित्र, डॉक्यूमेन्टरी तथा देश में पंचायत राज व्यवस्था का पौराणिक स्वरूप का प्रदर्शन किया जाना था।

भविष्य में यह हो सकता है

-देश भर में पंचायत राज के लागू होने के बाद ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सफलता की कहानियों के बारे में ऑडियो विजुअल प्रदर्शन

– पंचायत राज संस्थाओं की भूमिका के बारे में और नए बनने वाले कानूनों की अद्यतन जानकारी

– पंचायत राज की स्थापना के बारे में तथ्यात्मक व चित्र सहित जानकारी