आज सूर्य के सामने से गुजरेगा बुध: भारत में भी दिखेगा नजारा, साइंटिस्ट्स ने दी वॉर्निंग



नई दिल्ली। आज बुध (मर्करी) सूर्य के सामने से गुजरेगा। साइंटिस्ट्स ने शाम 4.42 के बाद सूर्य की तरफ न देखने की वॉर्निंग दी है। इसे देखने पर आपकी आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है। कई साइंटिस्ट्स इससे परमानेंट रोशनी खोने की बात भी कह रहे हैं। बता दें कि सूर्य के सामने से बुध के गुजरने की घटना 100 साल में 13 बार होती है। बुध को सूर्य को क्रॉस करने में करीब साढ़े सात घंटे लगेंगे…
– चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) के फिजिक्स डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर संदीप सहजपाल के मुताबिक, इसे देखने से आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ सकता है।
– सोमवार शाम 4 बजकर 42 मिनट से सूर्य अस्त होने तक में बुध के सूर्य के सामने से गुजरने (ट्रांजिट ऑफ मर्करी) का असर रहेगा।
– डॉ. सहजपाल के मुताबिक, इस दौरान मर्करी सूरत के आगे से क्रॉस करेगा। मर्करी को सूरज के आगे से क्रॉस करने में साढ़े सात घंटे लगेंगे, लेकिन भारत में इसका असर 4 बजकर 42 मिनट के बाद से 7 बजकर 6 मिनट पर सूर्य अस्त होने तक रहेगा।
– सोमवार शाम 4 बजकर 42 मिनट से सूर्य अस्त होने तक में बुध के सूर्य के सामने से गुजरने (ट्रांजिट ऑफ मर्करी) का असर रहेगा।
– डॉ. सहजपाल के मुताबिक, इस दौरान मर्करी सूरत के आगे से क्रॉस करेगा। मर्करी को सूरज के आगे से क्रॉस करने में साढ़े सात घंटे लगेंगे, लेकिन भारत में इसका असर 4 बजकर 42 मिनट के बाद से 7 बजकर 6 मिनट पर सूर्य अस्त होने तक रहेगा।
क्या है ट्रांजिट ऑफ मर्करी?
– सौरमंडल का सबसे छोटा प्लैनेट बुध के सूरज के आगे से क्रॉस करने को ट्रांजिट ऑफ मर्करी कहते हैं।
– इस दौरान सूर्य के आगे काले रंग का छोटा-सा धब्बा नजर आएगा।
– इस दौरान सूर्य के आगे काले रंग का छोटा-सा धब्बा नजर आएगा।
खुली आंखों से देखना हो सकता है खतरनाक।
– सूर्य के आगे से बुध के क्रॉस होते होने इससे एनर्जी निकलती है। इस एनर्जी को देखने पर हमारी आंखें सहन नही कर पातीं।
– इस एनर्जी की वजह से आंखों का रेटिना पूरी तरह डैमेज हो सकता है।
– आमतौर पर बीमारी या किसी चोट से डैमेज होने वाले रेटिना को ठीक किया जा सकता है। लेकिन ट्रांजिट ऑफ मर्करी से डैमेज रेटिना ठीक नहीं हो सकता।
– डॉ. संदीप सहजपाल के मुताबिक, इस घटना को केवल सोलर फिल्टर वाली दूरबीन से ही देखा जा सकता है। चश्मे से भी देखने पर बुरा असर पड़ सकता है।
– इस एनर्जी की वजह से आंखों का रेटिना पूरी तरह डैमेज हो सकता है।
– आमतौर पर बीमारी या किसी चोट से डैमेज होने वाले रेटिना को ठीक किया जा सकता है। लेकिन ट्रांजिट ऑफ मर्करी से डैमेज रेटिना ठीक नहीं हो सकता।
– डॉ. संदीप सहजपाल के मुताबिक, इस घटना को केवल सोलर फिल्टर वाली दूरबीन से ही देखा जा सकता है। चश्मे से भी देखने पर बुरा असर पड़ सकता है।
अगली बार 2032 में दिखेगा ट्रांजिट ऑफ मर्करी
– भारत में 2032 में मई और नवंबर के महीने में ट्रांजिट ऑफ मर्करी देखा जा सकेगा।
– भारत में इससे पहले 6 नवंबर, 2006 को ट्रांजिट ऑफ मर्करी हुआ था। लेकिन नॉर्थ-ईस्टर्न राज्यों में सूर्योदय के समय ही यह दिखा था।
– अगला ट्रांजिट ऑफ मर्करी 11 नवंबर 2019 को होगा। लेकिन भारत में सूर्यास्त होने की वजह ये नहीं दिखेगा।
– भारत में इससे पहले 6 नवंबर, 2006 को ट्रांजिट ऑफ मर्करी हुआ था। लेकिन नॉर्थ-ईस्टर्न राज्यों में सूर्योदय के समय ही यह दिखा था।
– अगला ट्रांजिट ऑफ मर्करी 11 नवंबर 2019 को होगा। लेकिन भारत में सूर्यास्त होने की वजह ये नहीं दिखेगा।
चश्मे से भी न देखें
– चंडीगढ़ के घटना पर फिल्टर नजर इस खगोलीय घटना को पीयू का फिजिक्स डिपार्टमेंट ऑब्जर्व करेगा। डॉ. संदीप सहजपाल बताते हैं कि इस घटना को देखने के लिए पीयू में इंतजाम किए गए हैं। साइंटिस्ट ऑब्जर्व करेंगे कि ट्रांजिट ऑफ मर्करी के समय कितनी एनर्जी निकलती है।
साइंटिस्ट्स के लिए क्या है मौका?
– बुध के सूर्य के सामने से गुजरने के दौरान साइंटिस्ट्स ये जानने की कोशिश करेंगे कि स्टार्स-प्लैनेट स्पेस में कैसे मूवमेंट करते हैं।
– नासा ने इसकी स्टडी के लिए 3 टेलिस्कोप लगाए हैं।
– नासा के प्रोग्राम मैनेजर लुई मेयो के मुताबिक, “स्पेस में जब दो प्लैनेट या स्टार नजदीक आते हैं तो साइंटिस्ट्स काफी एक्साइटेड होते हैं। इससे हमें काफी कुछ जानने-समझने का मौका मिलेगा।”
– “बुध के ट्रांजिट करने से वहां के एटमॉस्फियर को जानने में मदद मिलेगी।”
– नासा ने इसकी स्टडी के लिए 3 टेलिस्कोप लगाए हैं।
– नासा के प्रोग्राम मैनेजर लुई मेयो के मुताबिक, “स्पेस में जब दो प्लैनेट या स्टार नजदीक आते हैं तो साइंटिस्ट्स काफी एक्साइटेड होते हैं। इससे हमें काफी कुछ जानने-समझने का मौका मिलेगा।”
– “बुध के ट्रांजिट करने से वहां के एटमॉस्फियर को जानने में मदद मिलेगी।”
क्या है बुध की खासियत
– नासा के मुताबिक, “बेहद गर्म होने के चलते बुध में एटमॉस्फियर नहीं है। दूसरे शब्दों में ये भी कह सकते हैं कि बुध का वायुमंडल काफी पतला है। गैसें यहां रुक ही नहीं पातीं।”
– नासा के मुताबिक, “बेहद गर्म होने के चलते बुध में एटमॉस्फियर नहीं है। दूसरे शब्दों में ये भी कह सकते हैं कि बुध का वायुमंडल काफी पतला है। गैसें यहां रुक ही नहीं पातीं।”