जयपुर।  हर साल आने वाली वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता है। इस साल यह 9 मई को है। भगवान विष्णु ने नर-नारायण और हयग्रीव के रूप में इसी तिथि को अवतार लिया था। इस तिथि से ही सतयुग आदि युगों का प्रारंभ होने के कारण इसे युगादि तिथि भी कहते हैं।बद्रीनाथ धाम के कपाट भी इसी तिथि से खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांकेबिहारीजी के मंदिर में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण दर्शन होते हैं, शेष दिन वस्त्र से ढंके होते हैं। इन आध्यात्मिक महत्वों के कारण ही अक्षय तृतीया का दिन विवाह के लिए सर्वसिद्ध मुहूर्त का दिन है।पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन किए गए जप-दान, हवन, स्वाध्याय आदि का अक्षय फल मिलता है। जिनको जन्मकुंडली में अनिष्ट कारक ग्रहों की दशांतर्दशा के कारण परेशानी हो, अटके हुए काम नहीं बन पाते हों, व्यापार में लगातार घाटा हो रहा हो, घर में सुख-शांति न हो, संतान कष्ट में हो, शत्रु हावी हो रहे हों, ऐसे में यश, पद, लक्ष्मी प्राप्त करने और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अक्षय तृतीया से प्रारंभ किए जाने वाले उपायों से अक्षय लाभ मिलता है। उदाहरण स्वरूप कुछ दान, जप व उपाय निम्र प्रकार हैं, जिनको अक्षय तृतीया से प्रारंभ कर लाभ उठाया जा सकता है।

दान कर कमाएं भरपूर पुण्य

सूर्य नीचगत, शत्रुक्षेत्रीय अथवा अशुभ कारक हो तो नैवेद्य के साथ गेहूं का सत्तू, लाल चंदन, गुड़, लाल वस्त्र, ताम्रपात्र तथा फल-फूल का दान मंदिर में दें। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। चंद्रमा अनिष्टकारक हो तो दो घड़ों में जल भरें, एक में एक चुटकी चावल व दूसरे में तिल डालकर मंदिर में दें। चावल, घी, चीनी, मोती, शंख, कपूर का दान करें। मंगल की शुभता के लिए जौ का सत्तू, गेहूं, मसूर, घी, गुड़, शहद, मूंगा आदि का दान करें।बुध की अनुकूलता के लिए हरा वस्त्र, मूंग दाल, हरे फल तथा सब्जी का दान करें। गुरु की प्रसन्नता के लिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। केले के पेड़ में हल्दी मिश्रित जल चढ़ाकर घी का दीपक जलाएं। केला, आम, पपीता का दान करें। शुक्र शांति के लिए सुहागिनों को वस्त्र एवं शृंगार सामग्री देकर सम्मानित करें। सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, दूध, दही, मिश्री का दान करें। शनि-राहु के लिए एक नारियल को मोती में लपेटकर सात बादाम के साथ दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में चढ़ाएं।केतु अनिष्टकारक हो तो सप्त धान्य, पंखे, खड़ाऊ, छाता, लहसुनिया और नमक का दान करें। इसके अलावा संबंधित अशुभकारक ग्रहों के मंत्र का जाप करें।

ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य व चंद्रमा दोनों ही महत्वपूर्ण ग्रह हैं। चंद्रमा जहां मन का स्वामी व समस्त परिणामों को प्रत्यक्ष रूप से शीघ्रता से प्रभावित करते हैं, वहीं सूर्य नक्षत्र मंडल के स्वामी व केंद्र हैं। दोनों प्रत्यक्ष देवों की श्रेणी में आते हैं। अक्षय तृतीया के दिन दोनों ही ग्रह अपनी उच्च राशि में होते हैं। यही कारण है कि इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है।