आगरा। क्या कभी आप सोच सकते हैं कि स्कूल में 8 वीं क्लास में पढ़ने वाला बच्चा एक करोड़ रूपए चुका सकता है।  सुनकर हैरानी तो ज़रूर होगी, लेकिन कुछ ऐसा ही चौंकाने वाला वाक्या सामने आया है उत्तर प्रदेश में। यहां आगरा के सेंट फ्रांसिस स्कूल ने 8 वीं क्लास के एक स्टूडेंट को एक करोड़ रूपए का लीगल नोटिस दे दिया है।

ये है नोटिस देने की वजह 

दरअसल, न्यू आगरा के रहने वाले सगीर अहमद ने बेटे मोहम्मद शहजान को कॉन्वेंट सेंट फ्रांसिस स्कूल में एडमिशन करवाया।  शहजान ने यहां केजी से लेकर 8 वीं क्लास तक की पढ़ाई की। लेकिन 8 वीं क्लास में रिज़ल्ट के आधार पर शहजान को अगली क्लास में कक्षोन्नत करने से स्कूल मैनेजमेंट ने मना कर दिया।

स्कूल प्रबंधन का यह कदम स्टूडेंट के परिजनों को नागवार गुज़रा। स्टूडेंट की ओर से वकील ने स्कूल को लीगल नोटिस भेजकर उसे फेल करने का कारण पूछा। साथ ही पैसे मांगे जाने का भी आरोप लगाया। स्टूडेंट के पिता सगीर अहमद ने शिक्षा अधिकारियों को यह दलील दी कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत आठवीं तक के स्टूडेंट को फेल नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके उनके बेटे को फेल कर दिया गया। परिजनों की शिकायत और गुहार के बाद शिक्षा विभाग ने सेंट फ्रांसिस स्कूल से 11 अप्रैल 2016 को इस सिलसिले में ब्यौरा मांगा। जवाब न मिलने पर 20 अप्रैल को रिमाइंडर भी भेजा। उधर, स्कूल प्रबंधन ने एडवोकेट के माध्यम से जवाब में एक करोड़ रूपए का लीगल नोटिस छात्र को ही दे दिया। इस नोटिस में कहा गया कि छात्र अवयस्क है, उसकी ओर से लीगल नोटिस नहीं दिया जा सकता है। सेंट फ्रांसिस स्कूल की साख है, यह ख्याति प्राप्त संस्था है। इस पर नोटिस के माध्यम से गलत आरोप लगाए गए हैं।

एक करोड़ रुपये का नोटिस स्कूल की ओर से मिला है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से आर्थिक सहायता की मांग करेंगे। मदद नहीं मिली तो भीख मांगेंगे। आरटीई के तहत आठवीं तक के बच्चों को फेल नहीं किया जा सकता, फिर भी बेटे को अनुत्तीर्ण कर दिया गया।

– सगीर अहमद, शहजान के पिता 

पहले छात्र की ओर से लीगल नोटिस स्कूल को दिया गया था। उसके जवाब में लीगल नोटिस स्कूल की ओर से दिया गया है। सेंट फ्रांसिस स्कूल अल्पसंख्यक संस्था है। इस पर शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू नहीं होता। 

– सिस्टर सेंटिना, सेंट फ्रांसिस स्कूल की प्रिंसिपल