72 साल की उम्र में बनी मां, जानिए किस तकनीक से भरी सूनी गोद





दिल्ली। पंजाब की रहने वाली दलजिंदर कौर के 72 साल की उम्र में मां बनने पर नैतिकता-अनैतिकता की बहस भी छिड़ गई है। पंजाब में बुजुर्ग दंपति द्वारा आईवीएफ के जरिये बच्चा पैदा करने को डॉक्टरों ने पूरी तरह से अनैतिक करार दिया है। इंफर्टिलिटी विशेषज्ञों ने सरकार से मांग की है आईवीएफ के जरिए मां बनने की इच्छा रखने वाली महिलाओं की अधिकतम उम्र तय की जानी चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा किया जाना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे बच्चे और मां दोनों की सेहत को खतरा रहता है। उदयपुर की जानी-मानी इंफर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. सिमी सूद का कहना है कि 50 के बाद आईवीएफ नहीं किया जाना चाहिए। इससे मां की जान तक को खतरा रहता है। सामाजिक रूप से देखा जाए, तो भी यह गलत है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्री के मुताबिक आईवीएफ तकनीक के जरिये बच्चा पैदा करने वाले दंपति की संयुक्त उम्र 100 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। जबकि दलजिंदर कौर उनके पति की संयुक्त उम्र करीब 150 साल है।
आईवीएफ से ऐसे मिला मातृत्व सुख

दलजिंदर का इलाज 2013 से हरियाणा के हिसार के एक फर्टिलिटी क्लीनिक में चल रहा था। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन टेक्नीक से वह मां बनी। इस तकनीक में हार्मोन के इंजेक्शन दिए जाते हैं, ताकि महिला के शरीर में एग सेल्स अधिक बनने लगें। इसके बाद एग को गर्भाशय से निकाल लिया जाता है। उसके बाद स्पर्म से फर्टीलाइज करवाया जाता है। फर्टिलाइजेशन के बाद उसे महिला के यूटरस में रख दिया जाता है।
एक्सपर्ट ओपिनियन
50 साल से अधिक आयु की महिलाओं के लिए आईवीएफ पूरी तरह से बैन होना चाहिए। अधिक उम्र में गर्भावस्था से मां और बच्चे दोनों को काफी खतरा होता है। ज्यादा उम्र में प्रेग्रेंसी से बच्चे की सेहत के साथ मां की सेहत पर खतरनाक प्रभाव पड़ सकता है। डायबिटीज, हाईब्लडप्रेशर होने का खतरा बढ़ जाता है।